Kumar Vishwas Ki Shayari: डॉ. कुमार विश्वास भारत के जाने माने कवि हैं जिन्होंने पुरे विश्व में अपनी कविता और शायरी द्वारा एक अद्भुत मुकाम हासिल किया है। आज मैं आपको कुमार विश्वास जी की शायरी के साथ साथ kumar vishwas ki motivational quotes, vishwas ji ki deshbhakti shayari और अनेक प्रकार की शायरियां साझा करुँगी। विश्वास जी ने प्यार, देशभक्ति, दोस्ती, और अन्य प्रकार की शायरियां एवं कविताएं लिखीं हैं जो आज भी लोगो के दिलों में बसी हुई है। उनकी शायरी की हर एक पंक्ति आपके दिल को छू लेगी।
भारत के प्रसिद्ध कवि या फिर शायर का नाम लें तो उनमे कुमार विश्वास जी का नाम बड़े ही इज़्ज़त के साथ लिया जाता है। उन्हें श्रृंगार रास का कवी माना जाता है। वर्ष 2014 में उन्हें गूगल की तरफ से उन्हें निमंत्रण मिला और उसी साल उन्होंने गूगल के कार्यकर्ताओं के सामने गूगल हेडक्वार्टर्स में लेक्चर भी दिया। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए रियलिटी शो बिग बॉस की तरफ से भी शो में शामिल होने के लिए निमत्रण मिला, परन्तु यह निमंत्रण उन्होंने स्वीकार नहीं किया। तो आइए पढ़ते हैं उनकी शानदार शायरियां।
Kumar Vishwas Ki Shayari in Hindi
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा
ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे।
ये वो ही इरादें हैं, ये वो ही तबस्सुम है
हर एक मोहल्लत में, बस दर्द का आलम है
इतनी उदास बातें, इतना उदास लहजा,
लगता है की तुम को भी, हम सा ही कोई गम है।
मावस की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की काली रातों में गम आंसू के संग घुलता है,
और जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं,
जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं सब सोते हैं हम रोते हैं
इस अधूरी जवानी का क्या फ़ायदा,
बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा,
जिसमें धुलकर नज़र भी न पावन बनी
आंख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा।
जब बेमन से खाना खाने पर , माँ गुस्सा हो जाती है
जब लाख मन करने पर भी , पारो पढने आ जाती है।
मेरे जीने मरने में तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा।
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है,
कई जीत है दिल के देश पर मालूम है मुझकों,
सिकन्दर हूँ मुझे इक रोज़ खाली हाथ जाना है।
कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम बिन।
भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम बिन।
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है,
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन
हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है,
हम चिरागों की इन हवाओं से,
कोई तो जा के बता दे उस को,
चैन बढता है बद्दुआओं से।
हमने दुख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है
पल पल भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो,
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ।
फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है,
अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में,
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि रौशनाई है।
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तु मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है य़ा मेरा दिल समझता है।।
वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है।
सूफ़ियों ने तुझे पैग़ाम-ए-हक़ सुनाया था,
शंकराचार्य ने मंदिर वहीं बनाया था,
आ गिले शिकवे करें दोनों मिलके आज दफ़न
मेरे कश्मीर मेरी जान मेरे प्यारे चमन।
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे,
देखना ये है कि मंजिल पे कौन पहुँचेगा,
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।
मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी
मांग से मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है
स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो,
तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा।
तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी
कल तक़ तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है मुझे
मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया
Kumar Vishwas Shayari Images
तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है, बग़ावत क्यों नहीं करता,
कभी तुम से थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है, मुहब्बत क्यों नहीं करता
कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाए
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाए
तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र
मुझे कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है
लड़े वो वीर जवानों की तरह ,
ठंडा खून फौलाद हुआ
मरते मरते भी कई मार गिराए ,
तभी तो देश आजाद हुआ
एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है?
इसे हल कर दे ये फ़क़त लफ्ज़ हैं
तो रोक दे रस्ता इन का और अगर
सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में,
मुक्कमल जिंदगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना
ना भूले से यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करती है
तुम अमर राग-माला बनो तो सही
एक पावन शिवाला बनो तो सही
लोग पढ़ लेंगे तुम से सबक प्यार का
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही।
सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है।
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
तुम अगर राग माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,
लोग पढ़ लेंगे तुमसे सबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही।
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं,
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे,
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं।
वक़्त के क्रूर छल का भरोसा नहीं,
आज जी लो कल का भरोसा नहीं,
दे रहे हैं वो अगले जन्म की खबर,
जिनको अगले ही पल का भरोसा नहीं।
कुमार विश्वास की शायरी
हर मजहब से सीखा हमने, पहले देश का नारा,
मत बांटो इसे एक ही रहने दो, प्यारा हिंदुस्तान हमारा
उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है।
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
हिम्मत-ए-रौशनी बढ़ जाती है,
हम चिरागों की इन हवाओं से,
कोई तो जा के बता दे उस को,
चैन बढता है बद्दुवाओं से
जब भी मुँह ढंक लेता हूँ तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते है मेरे मन के घाओ में।
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
ये मुसाफिर हो कोई ठिकाना चाहे।
हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है,
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है,
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब समय का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है
यह चादर सुख की मोल क्यू, सदा छोटी बनाता है
सीरा कोई भी थामो, दूसरा खुद छुट जाता है
तुम्हारे साथ था तो मैं, जमाने भर में रुसवा था
मगर अब तुम नहीं हो तो, ज़माना साथ गाता है।
बस्ती – बस्ती घोर उदासी, पर्वत – पर्वत सुनापन
मन हीरा बेमोल लुट गया, घिस -घिस रीता मन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक, दो ही चीज़ गजब की है
एक तो तेरा भोलापन है, एक मेरा दीवानापन।
ख़ुशियों के बेदर्द लुटेरो
ग़म बोले तो क्या होगा
ख़ामोशी से डरने वालो
हम बोले तो क्या होगा
वो जो खुद में से कम निकलतें हैं,
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन कौन रहता है?
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ वहां पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
गर मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना
ये दिल बर्बाद करके सो में क्यों आबाद रहते हो,
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो
ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला,
मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ,
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन,
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ।
मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।
जब उंच -नीच समझाने में , माथे की नस दुःख जाती हैं
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता है।
जब जल्दी घर जाने की इच्छा , मन ही मन घुट जाती है
जब कॉलेज से घर लाने वाली , पहली बस छुट जाती है।
यह देखना मत भूलें
तो आपका क्या कहना है इन Kumar Vishwas Ki Shayari पर? आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे दे सकते हैं। भारत के महान कवियों में विश्वास जी का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। न सिर्फ भारत में, बल्कि दूसरे देशों में भी उनके काफी प्रशंसक हैं। उम्मीद है की आपको उनकी यह शायरियां पसंद आयी। ऐसी और शायरी के लिए दूसरे पृष्ठ देखना बिलकुल मत भूलियेगा।